Composed by: Ruby Chaudhary
उत्तराखंड का जब भी जिक्र होता है,
जिक्र होता है पर्वत का, पहाड का,
ऊंचाई का, सच्चाई का, अच्छाई का, खूबसूरती का, कर्मठता का,
शान्ति का, सुंदरता का।
पर मैं देखती हूँ यहां की औरतों को,
देखती हूँ इनकी मेहनत, संघर्षों को।
आकर्षित करती है इनकी सरलता,
कष्टों के बावजूद इनकी प्रसन्नता।
पूरा पूरा दिन ये काम करती है,
शायद ही कभी आराम करती है।
मुख पर एक अद्भुत तेज लिए हुए,
हर मुश्किल परिवार की आसान करती है।
आकर्षित करता है इनका परिधान,
श्रंगार व साजो सज्जा से अनजान।
थकान चेहरे की, है श्रंगार इनका,
मुसकान, होठों की लाली है,
आखों की उम्मीदें, है काजल इनका,
अदाएं, इनकी खुशमिजाजी है।
आकर्षित करती है इनकी दृढता,
काम के प्रति इनकी लगन,
प्रेम में इनकी निःस्वार्थता।
मुश्किलों भरा इनका रहन-सहन,
किसी से कोई शिकायत नहीं,
पहाड़ों में इनकी मगनता।
आकर्षित करता है इनका आतिथ्य सत्कार,
अनजानों पर लुटाना प्यार बेशुमार।
अपनी छोड सबकी परवाह करती है,
मेहमान देख खुश हुआ करती है।
इतना अपनापन अपनों से नहीं पाया है,
जितनी सरलता से इन्होंने अपनाया है।
कम बात करती है, लेकिन बडी बात करती है,
घरेलू है, लेकिन सारा ज्ञान रखती है।
इनकी सोच का दायरा बडा है,
भले ही पहाड सीना ताने खडा है।
इसी सीने को चूमते हुए आगे बढी है,
फिसली है कई बार, कई बार गिरी है।
लेकिन पर्वत है छोटे, इनकी हिम्मत बडी हैं।
इनकी व्यथा को, इनकी पीडा को,
जब-जब महसूस करती हूँ,
खुद को छोटा,
बहुत छोटा महसूस करती हूँ।
झुकी इनकी कमर,
जब-जब देखा करती हूँ,
मन ही मन,
इनके मेहनती मिजाज को,
मेहनत से किए हर काम को,
सलाम किया करती हूँ।
सलाम किया करती हूँ।।