Composed by Sanjay Pathak
पाथर छायी मकान हूँछी
नानू नान कुड़ी में लै फरांग हूँछी
भीं में बिछै बेर गद्द चटाई
भली भल नींन उछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
आम –बुब काका –ताऊ, भै – बैणियोंक पुरि बरात हूँछी
मिल जुल बेर रोंछी सब, हमर लिजी रोजै त्योहार हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
रत्ती फजर देवी थान बटी, शंख घंटीक आवाज उछी
छाज में भै बेर बुब लै हमार, गुड़गुड़ी हुक्क में तान भर छी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
दिन भरीक थकी पराण, खेतों में पसीण बहौं छी
आलू –पिनाऊ साग दगैण ,मडुवक चार रौट खछी
रत्ती कनै भलीक्कै पेट लै साफ हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
रत्ती कनै जब सब सै रोंछी, ईजक आदू काम है जछी
गोरूक दूध निकाव बेर, भिनैर कै चणै दिछी
दूदक गिलास किनार धर बेर
किरौटी लिजी भै – बैणियों में लड़ाई हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
बाबू जछी गोरूक ग्वाव, ईज खेतम कुटैयी छापेरि लि जछी
भै–बैणियोंक दगण हमलै , बाखोई में डोइनै रौंछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
ठुल दादीक पेंट जब ,घुन जाणे पुज जछी, चार हरी पिहाव टल्ल जब
विक पिछाडि लाग जछी
ऊक बादा ऊ म्यर नई पेंट हूँछी, पेंट पैण बेर मैं लै खूब इतरौंछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
स्यो,खुमानि,पुलम,काफो
हमर पहाड़ में खूब हूँछी
अडडू , बाघ– बकरि , साँप सीड़ी
हमर नान छनाँक खेल हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
भल करला भलै हौल, आम–बुबुक य सीख हूँछी
पहाड़ेक ठंडी हाव में, ईष्ट देवोंक आशीष हूँछी
आहा ! पहाड़ में कतु भल दिन हूँछी….
nice sir