Holi is an auspicious festival of India known for its colorful watery ambiance. In the starting of spring(Phalgun) and brings happiness for all. People have a get together with their relatives and friends and do all the crazy stuff by consuming ‘Bhang’ and eating ‘Bhang Pakoras’. Heaps of various hues and ‘Pichkaris’ can be easily seen on the roadside market during this festival. The notorious kids take active participation in the fest, they throw water balloons on the passers-by and eat mouth-watering delicacies specially prepared on this festival. In Uttarakhand Kumaoni Holi is very famous for its unique style of celebration. It is celebrated with a great enthusiasm. Mainly three types of Holi is celebrated by Kumaoni folk i.e Baithi Holi, the Khari Holi and the Mahila Holi. Celebrating Holi in a traditional Kumaoni by flavouring it with cultural songs makes it more delightful and memorable.
While celebrating Khari Holi and Baithi Holi the most enjoyable moment is when two groups call and repose music of ‘Kumaoni Holi’ songs. You can also take part in the musical group and impress the people around you by reciting some of the phrases of Kumaoni Holi Songs.
1. “…..रंग डारी दियो हो अलबेलिन में…
……गए रामाचंद्रन रंग लेने को गए….
……गए लछमन रंग लेने को गए……
……रंग डारी दियो हो सीतादेहिमें….
……रंग डारी दियो हो बहुरानिन में….”
2. “….जब फागुन रंग झमकते हों….
…..तब देख बहारें होली की…..
…..घुंघरू के तार खनकते हों….
…..तब देख बहारें होली की……”
3. “बलमा घर आये कौन दिना. सजना घर आये कौन दिना…
मेरे बलम के तीन शहर हैं
मेरे बलम के तीन शहर हैं
दिल्ली, आगरा और पटना.. बलमा घर आये कौन दिना. बलमा घर आये कौन दिना .. सजना घर आये कौन दिना।
मेरे बलम की तीन रानियां – २
मेरे बलम की तीन रानियां
पूनम, रेखा और सलमा बलमा घर आये कौन दिना. बलमा घर आये कौन दिना .. सजना घर आये कौन दिना।”
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जल कैसे भरूं जमुना गहरी,
ठाड़े भरूं राजा राम देखत हैं,
बैठी भरूं भीजे चुनरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
धीरे चलूं घर सास बुरी है,
धमकि चलूं छ्लके गगरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
गोदी में बालक सर पर गागर,
परवत से उतरी गोरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी. Src http://kakesh.com/?p=353
10. प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण , के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा , तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी
11. सतरंगी रंग बहार , होली खेल रहे नर नारी
कोई लिये हाथ पिचकारी,कोई लिये फसल की डारी
घर घर में धूम मचाय,होली खेल रहे नर नारी
सतरंगी रंग बहार , होली खेल रहे नर नारी
कोई नाच रहा कोई गाये कोई ताल मृदंग बजाये
घर घर में धूम मचाय, होली खेल रहे नर नारी.
12. झुकि आयो शहर में ब्यौपारी, झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को भूख बहुत है,पुरियां पकाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को प्यास बहुत है,पनिया पिलाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को नींद बहुत है,पलेंग बिछाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
13. ” अरे हाँ हाँ जी शंभो तुम क्यों ना खेलो होरी लला,
अच्छा हाँ हाँ जी शंभो तुम क्यों ना खेलो होरी लला.
ब्रह्मा जी खेलें , बिष्णु जी खेलें. खेलें गणपति देव
शंभो तुम क्यों ना खेलो होरी लला.
हाँ हाँ जी शंभो तुम क्यों ना खेलो होरी लला. ”
“अरे अंबारी एक जोगी आया लाल झुमैला वाला वे
ओहो लाल झुमैला वाला वे ”
“कहो तो यहीं रम जायें गोरी नैना तुम्हारे रसा भरे,
कहो तो यहीं रम जायें गोरी नैना तुम्हारे रसा भरे
उलटि पलट करि जायें गोरी नैना तुम्हारे रसा भरे
कहो तो यहीं रम जायें गोरी तबले तुम्हारे कसे हुए “
“सिप्पय्या आंख मार गयो रात मोरे सय्यां ,
सिप्पय्या आंख मार गयो रात मोरे सय्यां “
जबहि सिपय्या ने ….. भरतपुर लुट गयो रात मोरे सय्यां “
14. मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ …
मेरो लाडलो देवर घर ऐ रो छ..
के हुनी साड़ी के हुनी झम्पर,
कै हुनी बिछुवा लै रो छ….
सास हुनी साड़ी ,
ननद हुनी झम्पर,
मैं हुनी बिछुवा लै रो छ …
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .
मेरो रंगीलो देवर घर ऐ रो छ . . .
15. प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण , के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा , तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी
16. कैसी होरी मचाई, स्याम चिर चोरी लगाई,
खेलत गेंद गिरी जमुना में, हम से कहत चुराई,
बहियां पकड़ मोरी अंगिया में खोजत, एक गई, दो पाई,
छीन लिये मुरली पीतांबर, सिर पर चुनड़ी उठाई,
कहां गये तेरे संग के सखा सब, कहां गये बल भाई,
कहां गई तेरी मात जशोदा, तुमको लेय छुड़ाई,
फगुवा लिये बिन जान ना देंगी, तुम चित्त चोर कन्हाई।
17. खेलत फाग सुभाग भरी, अनुरागहिं लालन को धरि कें,
मारत कुमकुम केसर के, पिचकारिन में रंग को भरि कें,
गेरत लाल गुलाल लली, मनमोहिनी मौज मिटा करि कें,
जात चली रसखानि अलो, मदम्स्त मनी मन को हरी कें।
18. प्रथम बसंत नवल ऋतु आई, सुरितु चैत बैशाख सोहाई,
होई फागु भलि चांचरी जोरो, बिरह जराई दीन्ह जदि होरी,
धनि ससि सियरि तपै पिउसूरु, नखत सिंगार हाहिं सब चुरु,
जेहिं घर कंता रितु भली जगौ बसंता नित्त,
सुख बहरावहिं देव हरै, दुक्ख न जानहिं कित्तु
19. लाला छोरा खेलत कंकर मारि हरे,
कंकर मारी ना मरु गुन मारी मरि जावन रे,
गोरी की भीजै चुनरी, पिया की मल-मल पागन रहे,
इत जन बरसै मेघुला जेंह मेरो बालम लोकन रे।
20. सूरत धरी मन में अम्बा,
दरशन को तेरे द्वार, अम्बा जन तेरे,
हरियो पीपल द्वारे सोहे पिछवाड़,
अम्बा जन तेरे,
पिंहली माटी गऊ का गोबर,
चौका देहु बनाय, अम्बा जन तेरे,
ब्रह्मा बेद पढ़ै तेरे द्वारे,
शंकर ध्यान लगाय, अम्बा जन तेरे।
21. इत मथुरा उत गोकुल नगरी
बीच जमुना बहिजाय, सुंदर सांवरो,
पीताम्बर सिर मुकुट बिराजे,
गलमोतियन की माल, सुंदर सांवरो।
ताल-पखावज बाजन लागै,
नाचत गोपी-ग्वाल, सुंदर सांवरो।
केसर भर पिचकारिन मारे, भीजि गई
ब्रज बाला, सुंदर सांवरो।
बृंदाबन की कुंजन में होरि खेलत,
नन्द को लाल, सुंदर सांवरो……..।
22. दे दो स्वराज्य बिहारी,
श्री कृष्णा मुरारी,
रंग हमारो बिदेस सिधारो,
लीगै समुन्दर पारी,
भांग पिणा सूं रैगेछ खाले और दिणा सूं गारी।
रंग-रंगीला कां बटि बणनूं,
भौजि न देवर प्यारी,
देराणी-जेठाणी छयौक लगूंछन,
मालिक है रुठी नारी,
सास-ससुर की पूछ नी हांती,
च्याल लत्यूंनी बवारी….।
23. होरी खेलन कहां जाऊं,
घट ही में मेरो खिलाड़ी रहत हैं,
मेरे खिलाड़ी को सब कोई जानत….
यमुना तट पर झूलते श्याम का चित्रण-
कोई राम कोई कृष्ण कहत है,
चलो री सखी होरी खेलन,
आज तट जमुना के छोर,
अगर चंदन को बनो है हिंडोला, रेशम लागी डोर,
चढ़त अकास लहर जमुना की, झलत नन्द किशोर
इस होली में ननद से कुछ मांगा जा रहा है-
अपनो बीरन मोहे दे रौ ननदिया,
मैं होरी खेलत जात बृंदाबन,
ताल मृदंग तमूरा की जोरी,
पायल बाजे झन…नन री ननदिया…।
बसंत ऋतु में प्रियतम घर आये तो…
आज बसन्त सुहाये सखी,
मोरे पिया घर आये,
पीले ही फूल पीले बसन्त हैं,
पीले ही भवन लिपाये,
सब सखियां मिलि मंगल गांवें,
आज अनन्त बधायें……………।
24. कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा ।२।
गणपति बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
ब्रह्मा विष्णु बाधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
शिव शंकर बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
रामीचन्द्र बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा।
लछिमन बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
लव-कुश बांधनी चीर,हो रघुनन्दन राजा।
श्री कृष्ण बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
बलिभद्र बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा।
नवदुर्गा बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
गोलूदेव बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा।
भोलानाथ बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
सब देव बांधनी हो चीर, हो रघुनन्दन राजा॥
25. नदी जमुना के तीर,
कदम्ब चढि, कान्हा बजाय गये बांसुरिया—२
काहे की तेरी बनी रे बसुरिया–२
काहे को यो बीन। कदम्ब चढि…….
हरे बांस की बनी है बांसुरिया–२
सोने की यो बीन। कदम्ब चढि…….
कै सुर की तेरी बनी रे बांसुरिया–२
कै सुर को यो बीन। कदम्ब चढ़ि……
नौ सुर की ये बनी रे बांसुरिया–२
द्वि सुर को यो बीन। कदम्ब चढि….
कौन शहर की बनी रे बांसुरिया–२
कौन शहर की बीन। कदम्ब चढि….
मथुरा की बनी रे बांसुरिया–२
अजोध्या को यो बीन। कदम्ब चढि…..
कै मोल की तेरी यो बांसुरिया–२
कै मोल को बीन। कदम्ब चढि….
लाख टका की मेरी बांसुरिया,
अनमोल है यो बीन। कदम्ब चढि….
26. तुम जय काली कल्याण करो–२
हरे-हरे पीपल द्वार विराजे,
लाल ध्वजा फहराई रहो। जय काली कल्याण करो।
महाबली मधु कैटभ मारो,
रक्तबीज को जहर हरो, जय……
तुम शुंभ-निशुंभ महा अभिमानी,
तिनके बल का गर्व हरो, जय…..
दानव मारे, असुर सब मारे,
देवन जय-जयकार करें, जय……
दास नारायण अर्ज करत हैं,
अपने भक्तों का कष्ट हरो, जय……
27. सिद्धि को दाता, विघ्न विनाशन,
होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२।
गौरी को नन्दन, मूषा को वाहन ।२।
होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२। सिद्धि…
लाओ भवानी अक्षत चन्दन।२।
तिलक लगाओ गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
लाओ भवानी पुष्प की माला ।२।
गले पहनाओ गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
लाओ भवानी, लड्डू वन थाली ।२।
भोग लगाओ, गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
गज मोतियन से चौक पुराऊं ।२।
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
ताल बजाये अंचन-कंचन ।२।
डमरु बजावें शम्भु विभूषन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि….
28. सुमिरो सीता राम भया तुम हिरा जनम नहिं पाओगे
गई-गई असुर तेरि नारि मन्दोदरि, सिया मिलन गई बागा में
नदि यमुना के तीर कदम्ब चढि, कान्हा बजा गयो बांसुरिया
मथुरा में खेले एक घङी
29. जल कैसे भरूं जमुना गहरी…
बलमा घर आये कौन दिना/ बलमा घर आये फागुन में
तेरो हरिया पंख मुख लाल सुआ, बोलिय जन बोले बागा में
झनकारो-झनकारो-झनकारो, गोरि प्यारो लगो तेरो झनकारो
30. आओ गिरिराज खेलें होली-४
गणपति माथे तिलक लगो है-२
रिद्धि-सिद्धि मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि……………
ब्रह्मा विष्णु माथे तिलक लगो है-२
लक्ष्मी मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि…………..
शिवशंकर माथे तिलक लगो है-२
गौरा भांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि………………
रामचन्द्र माथे तिलक लगो है-२
सीता मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि……………………
श्री कृष्णा माथे तिलक लगो है-२
राधा मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि………………
भक्तन माथे तिलक लगो है-२
नैना मैय्या मां भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि………………
31. आ हा है कोई योधा इस कपिदल में, लाये संजीवनी बूटी हरी..
आ हा उठो हो जल्दी देर ना लगे लौटी आवो आधी राता हरी..
आ हा कौन दिशा में संजीवनी बूटी, कैसे हैं बूटी के पाता हरी..
आ हा द्रोणाचल में संजीवनी बूटी, ज्योति जले दिन राता हरी..
32. तुम सिद्धि करो महाराज, होलिन के दिन में,
तुम विघ्न हओ महाराज, होलिन के दिन में,
गणपति, गौरा, महेश मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश मनाऊं_२
सबको न्योतूं, आज होलिन के दिन में।
तुम सिद्धि……………………..।
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
राम-लखन, सीता मैया मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
राधा, कृष्णा, गोपियन को मनाऊं-२
इन सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
गोल्ज्यू मनाऊं, भोला नाथ मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
नैना मैय्या, पाषाण देवी मनाऊं,
सब देवे न्यूंतूं आज, होलिन के दिन में,
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि……………………..।
33. रंग डारि दियो रे अल बेलिन में, रंग डारि दियो,
गये राम चन्द्र रंग लेने को गये,
गये लछिमन रंग लेने को गये,
रंग डालि दिये रे सीता देहिन में, बहू रानिन में,
रंग डारि दिये रे अलबेनिन में, रंग डालि दियो….।
गये भी कृष्ण लेने को गये,
रंग डारि दियो रे, राधा रानी में,
सखि-गोपियन में, रंग डारि दियो,
रंग…….।
गये शिव शंकर रंग लेने को गये,
रंग डारि दियो रे गौरा में,
रंग…..।
34. मल दे गुलाल मोहे, कि आई होली आई रे,
चुनरी पे हरु रंग सोहे, कि आई होली आई रे,
आज कोई उनको भेज दे संदेश रे-२
राह तके दुल्हनियां, जाने को परदेश रे,
आये रे याद तेरी आये, कि पिया गये परदेश रे,
मल…।
प्यार से गले मिलो, भेद-भाव छोड़ के,
लोक-लाज की दीवार आज सनम छोड़ के,
दामन य कोई उलझाये, कि हिल-मिल होरी खेलें,
मल दे गुलाल मोहे, कि आई होली आई रे,
चुनरी पे हरु रंग सोहे, कि आई होली आई रे,
35. कैसे आऊं रे सांवरिया तेरी बृज नगरी,
इत गोकुल, उत मथुरा नगरी,
बीच बहे जमुना गहरी, कैसे आऊं?
कैसे आऊं रे सांवरिया……………।
धीरे चलूं, पायल मोरी बाजे,
कूद पड़ूं तो डूबूं सगरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया……………।
भर पिचकारी मेरे मुख पर डारी,
भीज गई रंग से चुनरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया……………।
केसर कींच मग्यो आंगन में,
रपट पड़ी राधे गवरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया……………।
मोर सखी मजा बाल कृष्णा छवि,
चिरंजी रहे सुन्दर जोरी, कैसे आऊं,
कैसे आऊं रे सांवरिया……………।
36. झुकि आयो शहर में ब्यौपारी, झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को भूख बहुत है,पुरियां पकाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को प्यास बहुत है,पनिया पिलाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
इस ब्यौपारी को नींद बहुत है,पलेंग बिछाय दे नथवाली.
झुकि आयो शहर में ब्यौपारी
Good information 👍
Great effort. Keep the kumauni culture alive let the great work going. Thanks.
Welcome.
Very good bhandari g.
Welcome, stay tuned for more.
Wonderful. Thanks for sharing.